क्या आप जानना चाहते हैं कि Vakya ke kitane ang hote hain or वाक्य के कितने अंग होते हैं? तो हमारा यह article अंत तक जरूर पढ़ें, इस article को पढ़ने के बाद आपकी इस topic की दिक्कतें दूर हो जाएंगी।

अगर आप वाक्य के बारे में पूरी जानकारी लेना चाहते हैं तो हमारा यह article आपके लिए बिल्कुल सही रहेगा। इसमें हम आपको इस topic के बारे में पूरी जानकारी देंगे, जिसकी मदद से आप आसानी से यह समझ पाएं कि वाक्य के कितने अंग होते हैं और वह क्या हैं। 

अगर आपसे कोई कहता है कि वाक्य बनाओ तो आप हाल कि हाल किसी भी बात को लेकर एक sentence बना

देते हैं लेकिन जब आपसे कोई पूछता है कि वाक्य के अंग कितने होते हैं? तो क्या आप उसका जवाब दे पाते हैं, अगर नहीं तो यह article आपके लिए है।

तो चलिए शुरू करते हैं।

वाक्य के कितने अंग होते हैं? | वाक्य के प्रकार कितने होते हैं

Vakya ke kitane ang hote hain

हम आपको बताना चाहते हैं कि वाक्य के वैसे तो दो अंग होते हैं, जिसमें से एक को उदेश्य और दूसरे को विधेय कहते हैं। अगर आप इनके बारे में अच्छे से समझेंगे तो आपको वाक्य के बारे में समझने में भी आसानी होगी। लेकिन वाक्य क्या होता है? चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं।

तो अगर आपसे कोई कहता है कि वाक्य के कितने अंग होते हैं नाम लिखिए या वाक्य के कितने अंग होते हैं उनके नाम बताइए ?

तो आप कह सकते हैं कि वाक्य के दो अंग होते हैं, उद्देश्य और विधेय।

वाक्य क्या होता है? | वाक्य किसे कहते हैं

वाक्य क्या होता है

जैसा कि आप जानते ही होंगे की भाषा की सबसे छोटी इकाई को वर्ण कहते हैं। वर्णो के एक समूह को शब्द कहते हैं, और शब्दों के एक समूह को वाक्य या वाक्य विचार कहते हैं।  तो इस section में हमने आपको वाक्य की परिभाषा बताई।

वाक्य शब्दों का एक ऐसा समूह है जिसका कोई मतलब निकलता है, जिससे उसके अर्थ का पता चलता है। अतः वाक्य में subject एवं verb का होना बहुत ही ज्यादा जरूरी है, बिना किसी अर्थ का वाक्य बेकार होता है।

वाक्य एक शब्दों का समूह होता है जो खुदमें ही complete होता है, उसे किसी भी और चीज की जरूरत नहीं होती। इसमें ज्यादातर एक subject और predicate होता है जो एक बात बताते हैं, कोई सवाल पूछते हैं, कोई order देते हैं, और जिसमें एक main clause भी होता है और कभी कभी एक या एक  से ज्यादा subordinate clauses भी होते हैं।

तो जैसा कि हमने आपको बताया कि वाक्य के दो अंग होते हैं।

  1. उद्देश्य 
  2. विधेय

1. उद्देश्य

उद्देश्य उसे कहते हैं जिसके बारे में वाक्य में बोला जाता है। काम करने वाला (subject) ही वाक्य में उद्देश्य कहलाता है। लेकिन काम करने वाले (करता) कारक के साथ अगर उसका कोई विशेषण हो, जो काम करने वाले के बारे में विस्तार से बताए, वह भी उद्देश्य के अंदर भी आता है। 

उदाहरण के लिए – मेरा भाई “राजा” रोजाना gully cricket खेलने जाना जाता है। इस वाक्य में “मेरा भाई राजा” उद्देश्य है, जिसमें “राजा” काम करने वाला है और “मेरा भाई” काम करने वाले राजा का विशेषण है, “मेरा भाई” को ही काम करने वाले के बारे में जानकारी देने वाला विशेषण कहते हैं।

2. विधेय

उद्देश्य अथवा काम करने वाले के बारे में वाक्य में जो कुछ भी बोला या कहा जाता है, उसे ‘विधेय’ कहा जाता है। विधेय के अंदर वाक्य में बताई गई क्रिया, क्रिया के बारे में बताने वाला, कर्म, कर्म के बारे में बताने वाला, पूरक, पूरक के बारे में बताने वाला आते हैं। 

जो उधारण हमने आपको ऊपर बताया उसी को आगे ले जाते हुए हम यह  बताना चाहते हैं कि वाक्य में “रोजाना gully cricket खेलने जाता है” वाले sentence के टुकड़े को ही विधेय कहते हैं, जिसमें खेलने जाता शब्द क्रिया है तो रोजाना शब्द क्रिया के बारे में बताने वाला है, जो क्रिया की विशेषता बताता है, cricket शब्द कर्म है तो gully शब्द cricket की विशेषता के बारे में बताने वाला है शब्द है। 

इनके अंदर अगर कोई शब्द बनता है तो उसे ‘पूरक’ कहते हैं और ‘पूरक’ की जानकारी देने वाले शब्द को ‘पूरक का विस्तारक’ कहते हैं, जो पूरक की विशेषता बताता है।

आप में से बहुत लोगों ने यह सवाल पूछा है कि रस के कितने अंग होते हैं एक वाक्य में उत्तर बताइए?

हम आपको बताना चाहेंगे कि रस के चार अंग होते हैं, जो इस कुछ इस तरह से हैं: स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव।

अब आगे बढ़ते हुए हम आपको इस बारे में जानकारी देंगे कि वाक्य के कितने भेद होते हैं।

ये भी पढ़े…

वाक्य के कितने भेद होते हैं?

वाक्य के कितने भेद होते हैं

वाक्य के भेद हम तीन आधारों पर कर सकते हैं, सबसे पहला क्रिया (verb) के आधार पर, दूसरा अर्थ (meaning) के आधार पर और तीसरा रचना (composition) के आधार पर, इन तीनों आधारों पर वाक्य के भेद किए जा सकते हैं।

क्रिया के आधार से वाक्यों के तीन भेद होते हैं।

  1. कर्तव्यवाच्य प्रधान
  2. कर्मवाच्य प्रधान
  3. भाव वाच्य प्रधान

1. कर्तव्यवाच्य प्रधान:

जब किसी वाक्य में दी गई क्रिया का सीधा connection काम करने वाले से होता है अथवा क्रिया के लिंग, वचन  काम करने वाले कारक के अनुसार बताए जाते हैं तब उसे कर्तव्यवाच्य प्रधान वाक्य कहा जाता है। जैसे कि राजा किताब पढ़ता है। दीक्षा खाना खाती है।

2. कर्मवाच्य प्रधान :

जब किसी वाक्य में बताई गई क्रिया का सीधा connection वाक्य में बताए गए कर्म से होता है अथवा क्रिया का लिंग, वचन काम करने वाले कारक के अनुसार ना होकर कर्म के अनुसार बताया जाता है। तब उस वाक्य को कर्मवाच्य प्रधान वाक्य कहते हैं। I इसके उदाहरण कुछ इस तरह से होते हैं – राजेश ने गाना गाया। राधा ने खाना खाया। 

3. भाव वाच्य प्रधान :

जब किसी वाक्य मैं बताई गई क्रिया का सीधा connection ना ही काम करने वाले के अनुसार होता है और ना ही कर्म के अनुसार बल्कि उसका connection सीधा भाव के अनुसार होता है तब उस वाक्य को भाववाच्य प्रधान वाक्य कहते हैं। इसके examples यह हैं – उषा से पढ़ा नहीं जाता। राम से पढ़ा नहीं जाता।

अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद

अर्थ के आधार पर

अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद किए का सकते हैं:

  1. विधानवाचक वाक्य
  2. निषेधवाचक वाक्य
  3. आज्ञावाचक वाक्य
  4. प्रश्नवाचक वाक्य
  5. इच्छावाचक वाक्य
  6. संदेहवाचक वाक्य
  7. विस्मयवाचक वाक्य
  8. संकेतवाचक वाक्य

1. विधानवाचक वाक्य :

जिस वाक्य में क्रिया का simple रूप होना पाया जाता है इस वाक्य को कहते हैं। 

जैसे – राजा खेलता है। शीला गांव में रहती है।

2. निषेधवाचक वाक्य

जिस बात में किसी बात के ना होने का या किसी विषय के ना होने के बारे में पता चलता है, जिस वाक्य में क्रिया के पहले किसी निषेद वाचक शब्द का इस्तेमाल होता है, उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। 

जैसे – चिंटू घर पर नहीं है। राजेश आपके साथ नहीं जाएगा।

3. आज्ञावाचक वाक्य

जिस वाक्य में कोई दूसरा आज्ञा, उपदेश या आदेश देता है उस वाक्य को अज्ञावाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे – राधा तुम गान गाओ। तुम भी उसकी तरह पढ़ो।

4. प्रश्नवाचक वाक्य

जिस वाक्य में कोई सवाल पूछा जाता है किसी काम को लेकर या फिर किसी विषय के ऊपर उस वाक्य को प्रश्नवाचक वाक्य कहा जाता है। 

जैसे – कौन सुबह से शोर कर रहा है? तुम यहां क्या कर रहे हो?

5. इच्छावाचक वाक्य

जिस वाक्य में कोई इच्छा बताई जाती है या फिर कोई blessing दी जाती है, उस वाक्य को इच्छावाचक वाक्य कहा जाता है। 

जैसे – भगवान करे, आप जल्दी सही हो जाओ। भगवान मेरे भाई को जल्दी ठीक करदे बस।

संदेहवाचक, संकेतवाचक, इच्छावाचक, आज्ञावाचक, प्रश्नवाचक और विस्मयवाचक वाक्यों में क्रिया से पहले न, नहीं आने पर भी वह वाक्य निषेधवाचक वाक्य नहीं कहलाता है।

6. संदेहवाचक वाक्य

जिस वाक्य में किसी होने वाली चीज के बारे में संधय बताया जाता है उस वाक्य को संदेह- वाचक वाक्य कहा जाता है। 

जैसे – शायद आज बारिश होगी। उन तीनों में से जाने, कौन खेलेगा।

7. विस्मयवाचक वाक्य

जब किसी वाक्य में किसी चीज को लेकर astonishment जताया जाता है, तब उस वाक्य को विस्मयवाचक वाक्य कहा जाता है। 

जैसे -वाह! कितने सुंदर पहाड़ हैं। छी! कितनी गंदी बदबू आ रही है।

8. संकेतवाचक वाक्य

जब किसी वाक्य में किसी बात का संकेत दिया जाता है या किसी बात पर शर्त लगाई जाती है। तब उस वाक्य के संकेतवाचक वाक्य कहा जाता है। 

जैसे – अगर में जाऊंगा तो मेरे किराए के पैसे तुम दोगे। अगर तुम दूसरों की मदद करोगे तो लोग समय आने पर तुम्हारी भी मदद करेंगे।

  वाह! कितना ज़्यादा सुंदर नजारा है।

8. संकेतवाचक वाक्य

जिस वाक्य में किसी बात के बारे में संकेत किया जाता है या किसी विषय पर शर्त लगाई जाती है, उस वाक्य को संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। 

जैसे – मैं जब ही चलूंगा जब तुम मेरी भी टिकट के पैसे दोगे। अगर तुम दूसरों का भला करोगे तो समय आने पर लोग तुम्हारी भी मदद करेंगे।

रचना के आधार पर वाक्य के भेद

रचना के आधार पर

रचना या composition के आधार पर वाक्य के पांच भेद होते हैं। हालाकि आश्रित उपवाक्य के तीन भेद और होते हैं।

  1. साधारण वाक्य / सरल वाक्य
  2. संयुक्त वाक्य
  3. मिश्रित / मिश्र वाक्य
  1. प्रधान उपवाक्य
  2. आश्रित उपवाक्य

1. साधारण वाक्य / सरल वाक्य 

जब किसी वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक विद्या होता है अतः इस वाक्य को साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहा जाता है।

जैसे – राधा खाना बना रही है।

Note – कभी भी दो साधारण वाक्यों में उद्देश्य और विधेय दोनों के बारे में इतने विस्तार से बताया जाता है, कि साधारण वाक्य को साधारण मानने में बहुत ही ज्यादा परेशानी होती है।

2. संयुक्त वाक्य

जब किसी वाक्य में दो या दो से ज्यादा साधारण वाक्य, प्रधान उपवाक्य समानाधिकरण उपवाक्य किसी संयोजक शब्द (तथा, एवं, या, अथवा, और, परन्तु, लेकिन, किन्तु, बल्कि, आदि) से जुड़े होते हैं तब उस वाक्य को संयुक्त वाक्य कहा जाता है। 

जैसे – राधा आई लेकिन राजा चला गया। किशोर आया लेकिन राम चला गया।

3. मिश्रित या मिश्र वाक्य

जब किसी वाक्य में एक प्रधान वाक्य और एक या एक से ज्यादा आश्रित उपवाक्य होते हैं, तब उस वाक्य को मिश्रित वाक्य कहा जाता है। 

जैसे – गांधी जी हमेशा बोलते थे कि हमें सच बोलना चाहिए। इस वाक्य में प्रधान उपवाक्य और आश्रित वाक्य को बताने से पहले, प्रधान वर्क और आश्रित बातों के विषय के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए जिसके बारे में हम आपको अब बताएंगे।

4. प्रधान उपवाक्य

जो वाक्य प्रधान या main उद्देश्य और main विधेय से मिलकर बना हो, उसे प्रधान उपवाक्य कहा जाता है। ऊपर बताए गए उदाहरण को आगे ले जाते हुए हम कहना चाहता हैं कि उस वाक्य में ‘गांधी जी हमेशा बोलते थे’ प्रधान उपवाक्य है, जिसमें ‘गांधी जी’ main उद्देश्य है और ‘बोलते’ main विधेय है।

5. आश्रित उपवाक्य

जो वाक्य प्रधान उपवाक्य के अंदर या आश्रित रहता है, उस वाक्य को आश्रित वाक्य कहा जाता है। जो उदाहरण हमने आपको ऊपर बताया था उसी में  ‘कि हमें सच बोलना चाहिए।’ इस sentence के टुकड़े को आश्रित उपवाक्य कहा जाता है। 

आश्रित उपवाक्य के तीन भेद होते हैं:

  • संज्ञा उपवाक्य
  • विशेषण उपवाक्य
  • क्रिया विशेषण उपवाक्य 

संज्ञा उपवाक्य : जब भी किसी आश्रित उपवाक्य का इस्तेमाल प्रधान उपवाक्य की संजय की जगह पर किया जाता है, तब उसे संज्ञा उपवाक्य कहा जाता है। संज्ञा उपवाक्य की शुरुआत कि सी होता है। 

ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘कि हमें सच बोलना चाहिए’ की शुरुआत ‘कि’ से हो रही है इसलिए इसे संज्ञा उपवाक्य कहा जा सकता है।

विशेषण उपवाक्य : जब किसी आश्रित वाक्य या प्रधान उपवाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता के बारे में बताया जाता है तब और वाक्य को विशेषण उपवाक्य कहा जाता है। विशेषण वाक्य ऐसे शब्द होते हैं जिनकी शुरुआत  जो, जिसका, जिसकी, जिसके आदि से होती है। 

जैसे – जो intelligent है, उसका आदर हर कोई करता है। जो जैसा करता है, उसे वैसा ही भोगना पड़ता है।

क्रिया विशेषण उपवाक्य : जब किसी आश्रित उपवाक्य, प्रधान उपवाक्य में क्रिया की विशेषता के बारे में बताया जाता है या सूचना दी जाती है, तब उस आश्रित उपवाक्य को ‘क्रिया विशेषण उपवाक्य’ कहा जाता है। क्रिया विशेषण उपवाक्य की शुरुआत जहाँ, जैसे, क्योंकि, जब, तब आदि से होती है। 

जैसे – यदि राजेश परिश्रम करता, तो उसका result ज्यादा अच्छा आता।

(समानाधिकरण उपवाक्य – ऐसे उपवाक्य जो कि प्रधान उपवाक्य या आश्रित उपवाक्य के समान होते हैं उन वाक्यों को समानाधिकरण उपवाक्य कहा जाता है।)

अब अगर आपसे कोई पूछे कि वाक्य किसे कहते हैं वाक्य के कितने अंग होते हैं?

तो आप उसे बता सकते हैं कि शब्दों का एक समूह, जिसका को अर्थ निकलता हो उसको वाक्य कहा जाता है। वाक्य के दो अंग होते हैं, उद्देश्य और विधेय।

 निष्कर्ष – वाक्य के कितने अंग होते हैं

दोस्तों यह था हमारा article जिसमें हमने आपको बताया कि वाक्य के मुख्य कितने अंग होते हैं या वाक्य में मुख्य कितने अंग होते हैं, वाक्य क्या होता है, वाक्य प्रकार और इससे जुड़ी हुई सारी जानकारी भी आपको दी। 

उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह article Vakya ke kitane ang hote hain or वाक्य के कितने अंग होते हैं पसंद आया होगा, आप इस article को अपने दोस्तों के साथ share कर सकते हैं, जो वाक्य के बारे में और जानकारी पाना चाहते हैं। 
क्योंकि इस article में हमने आपको वाक्य के कितने अंग या भेद होते हैं इस topic के बारे में detail में जानकारी दी है। हमारा यह article पढ़ने के लिए धन्यवाद!

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *